Thursday, 16 January 2014

EK AAM KAHANI # 2

Thursday, January 16, 2014 By , , 4 comments


दुखी कर देती हे ये फ़ोटो, हैना ?

श्यामा बाई बहुत ही ग़रीब थी। वह घर-घर जाकर काम किया करती थी ताकि अपने परिवार, जिसमे 1 बारह साल का बच्चा था उसका पालन पोषण कर सके। अपने छोटे से परिवार में वह एकलौती कमाने वाली थी क्यूँकि उसके पति कि मौत हो चुकी थी। वह अपने 12 साल के बच्चे का स्कूल में एडमिशन कराना चाहती थी जिसके लिए वो दिन रात मेहनत करती थी।

एक शाम उसकी तबीयत बहुत ख़राब हो गई। वह काफी पीड़ा में थी जो कि उसके कराहने से साफ़ समझ में आ रहा था, परंतु ईलाज के पैसे नही थे। यह देख उसका बच्चा खेल का बहाना बनाके काम पे निकल जाता है। 3 घंटे बाद जब वो घर लौटता है तो उसके हाथ में कुछ दवाईयाँ तथा खाने का सामन रहता है। वो अपनी माँ को खाना खिला के दवाइयां दे देता है और वो दोनों सो जाते है।

सुबह जब उसके बच्चे कि नींद घर में हो रही खतर-पटर से खुलती है तो वो उससे (श्यामा) बड़ी ही मासूमियत से सवाल करता है।

'इतनी सुबह कहाँ जा रही तो माँ?'

श्यामा कहती हे, 'काम पे जा रही हूँ मेरे लाल, तू सो जा आराम से।'

यह सुनते ही बच्चा तपाक से पूछ्ता है, 'पर आपकी तो तबियत ख़राब है न!'

इसपर श्यामा बाई बात को तौलकर कहती है , 'बेटा, तबियत कभी गरीबों कि ख़राब नही होती है।'


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4 comments:

  1. अच्छा लिखते हो, कहानी दिल को छूती है।

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    1. Aapka bohot bohot dhanywaad Shabab ji :)
      Aapka comment padhkar atyadhik khushi huyi :)
      Aate rahiyega O:)

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  2. PRAMOD GURJAR....

    Short but deep....:)

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