Tuesday, 18 February 2014

EK AAM KAHANI # 3

Tuesday, February 18, 2014 By , , 2 comments



एक व्यापारी अपनी हर रविवार को हुई कमाई से खाना खरीद कर गरीब बच्चो में बाँट दिया करता था। यह काम वो कई वर्षों से कर रहा था और उसे यह करने से काफी सुकून प्राप्त होता था।

एक बार उसके एक साथी ने उससे सवाल करा , 'भाई , तुम अपनी हर रविवार कि कमाई को समाजिक कार्य में लगा देते हो। तुम्हें इससे नुक्सान नही होता है क्या ?’

यह बात सुनते ही व्यापारी ने अपने चेहरे में मंद मुस्कान लिए उसे उत्तर दिया , 'मियां , हर काम में फायेदा नुक्सान नही देखा जाता। कुछ काम खुशी के लिए भी किये जाते है परन्तु , दुःख बस इसी बात का है कि यह छोटी सी बात हर किसी के समझ में नही आती। '


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2 comments:

  1. Oh God! that is so true!
    I wish I could be like this person... it is tough to overlook one's own needs and think about others!
    Everyone must be like this
    I hope I someday too can do something for charity
    jitni khushi un bachhon ko hoye gi usssy kahi zyaada mujhe hogi... I am sure about that :)

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    1. Charity always bring happiness and euphoria around! And, am pretty sure that you will be utterly happy to do that, whenever possible :)
      And, just like you, I wish the same that I could be that person as well. Well, not just me, but everybody could be (even a little would suffice) like him O:)

      Keep visiting :)

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