Thursday, 16 April 2020
EK AAM KAHANI # 8
बालक: पापा, आप हमेशा मुझे हर परिस्थिति में पॉजिटिव रहने की सलाह देते है, पर हम लोग जो ये घर पे बैठे है कोरोना वायरस के कारण इसमें कुछ पॉजिटिव नजर नहीं आता है मुझे।
शर्मा जी: बेटा, हर परिस्थिति के २ पहलू होते है, एक अच्छा और एक बुरा। तुम टीवी खोल के हिंदी न्यूज चैनल लगा लो, तुम्हे सारे नकारात्मक पहलू दिखने लगेंगे। पहले १ घंटे में अपने देश में रह रहे कुछ वर्ग के लोगों से नफ़रत होने लगेगी, अगले घंटे में शायद तुम उन्हें ही दोषी मानने की धारणा भी पाल लो। इंस्टाग्राम जैसे सोशल साइट खोलगे तो दूसरो द्वारा बनाई गई खाने की डिशेज और पेंटिंग तुम्हारे अंदर का संजीव कपूर और पिकासो को जगा देंगी। कल को शायद कोई खुद को कोड़े मारने का ट्रेंड चला दे, तो बेशक लोग उसमे भी चूकेंगे नहीं, क्योंकि ये सामाजिक रेस है, अटेंडेंस तो लगाना आवश्यक है क्योंकि इसी से सोशल एक्सेप्टेंस और एक औधा मिलता है सोशल मीडिया में। बहरहाल,..
**शर्मा जी की बात हो बीच में काटते हुए**
बालक: पापा आप जो बता रहे है वो सब सही तो है बेशक, पर आपने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया।
शर्मा जी: माफ करना बेटा, में गुस्से में यहां वहां निकाल जाता हूं। हालाकि ये बात भी है कि आजकल जवाब देने में भी दर लगता है; सेंसटिविटी और ईगो कई गुना बढ़ गया है और सुनने की क्षमता जो घट गई है लोगों की। कहीं कोई जज़्बाती होके कुछ कर ना दे, इससे बेहतर ना बोलने ही प्रतीत होता है।
बहरहाल, जो तुमने पूछा कि पॉजिटिव कैसे रहे, इसके जवाब में यही बोलूंगा की बड़ी लड़ाइयां छोटी छोटी अनेकों हौसलों, प्रयत्नों और जिम्मेदारियों की कहानियों से बनती है। इन लड़ाइयों में सबकी एक भूमिका होती है जिसको पूरी शिद्दत से निभाना रहता है। हमारे लिए ये भूमिका आज की परिस्थितिों में घर में रहने की है। अगर हम इसे पूरी ईमानदारी से नहीं निभाएंगे तो ये लड़ाई जीत नहीं पाएंगे।
अब शायद वजह जानकर खुद बा खुद तुमको पॉजिटिव मेहसूस हो रहा होगा। इसलिए कोई भी बात की वजह ज़रूर जानना अपनी राय बनाने के पहले। इससे २ चीज़ होगी, पहली, की तुम्हारा नज़रिया स्पष्ट हो जाएगा और दूसरा, तुम्हे अपने आप पॉजिटिविटी आएगी उस कार्य में अपनी ऊर्जा डालने की।
और अगर अब भी नहीं समझे, तो जाओ चाय बनाओ, अपन चुस्की लेते हुए और समझेंगे।
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